जौनपुर: उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, जौनपुर के प्रधानाचार्य प्रो० आर० बी० कमल के दिशा निर्देश में विभागाध्यक्ष , एनेस्थीसिया, डा० अरविन्द पटेल के द्वारा वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे पर सी०पी०आर० जागरूकता अभियान का आयोजन शैक्षणिक भवन के लेक्चर हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आमजन, मेडिकल विद्यार्थियों तथा नर्सिंग स्टाफ एवं कर्मचारियों का हृदयगति रुकने की आपात स्थिति में तुरंत की जाने वाली जीवनरक्षक प्रक्रिया सीपीआर की जानकारी एवं प्रशिक्षण देना था। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रधानाचार्य प्रो० आर० बी० कमल द्वारा सीपीआर की प्रतिज्ञा दिलाकर किया गया। प्रधानाचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में तेज रफ्तार जीवनशैली, मानसिक दबाव और नींद की कमी के कारण लोग तनावग्रस्त रहते हैं, जिससे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, अवसाद जैसी गंभीर बीमारिया तेजी से बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि नियमित व्यायाम प्राणायाम एवं सांस रोककर रखने के योगाभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, हृदय की कार्यक्षमता मजबूत होती है और मानसिक शांति बनी रहती है। उन्होंने यह भी बताया कि लंबी, गहरी सांसे लेने और थोड़ी देर तक सांस रोकने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती हैं, शरीर में आक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है तथा तनाव हार्मोन "कॉर्टिसोल' का स्तर घटता है। इससे व्यक्ति का मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते है। वक्तव्य के अन्त में प्रधानाचार्य ने सभी को स्वस्थ रहें, अच्छे रहें और अस्पताल के लिए वर्क करें का आशीर्वचन दिए।
एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष, डा० अरविन्द पटेल ने बताया कि सीपीआर का सर्वप्रथम प्रयोग 18वी शताब्दी में यूरोप में किया गया था, जब वैज्ञानिकों ने डूबे हुए व्यक्तियों को बचाने के लिए कृत्रिम श्वसन की विधियों पर प्रयोग प्रारंभ किए। बाद में 1960 में अमेरिकी चिकित्सकों-डा० पीटर सफर और डॉ. जेम्स एलाम द्वारा आधुनिक सी०पी०आर० तकनीक का विकास किया गया, जिसमें "माउथ टू माउथ ब्रीदीग़ " और "चेस्ट कंप्रेश " का संयुक्त रूप से शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि सीपीआर का मुख्य उद्देश्य हृदय की धड़कन और सांस रुक जाने की स्थिति में रक्त संचार और ऑक्सीजन की आपूर्ति को कृत्रिम रूप से बनाए रखना है, जिससे व्यक्ति के मस्तिष्क और महत्वपूर्ण अंगों को क्षति न पहुंचे। उन्होंने बताया कि सीपीआार की जानकारी न केवल डॉक्टरों बल्कि आम नागरिकों को भी होनी चाहिए, क्योंकि किसी भी आपात स्थिति-जैसे हृदयघात, बिजली का झटका, डूबना या दम घुटने में यह जीवन रक्षक साबित हो सकती है।
एनेस्थीसिया विभाग के सहायक आचार्य, डा० आदर्श कुमार यादव ने सीपीआर की विस्तृत जानकारी दी और डेमो करके दिखाया। उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति को बेसिक लाइफ स्पोर्ट और सीपीआर तकनीक का प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए ताकि आपात स्थिति में किसी की जान बचाई जा सके। सीपीआर केवल एक चिकित्सकीय तकनीक नहीं, बल्कि मानवता की रक्षा का संस्कार है। जो निःस्वार्थ भाव से किये जाने वाला सर्वोपरि परोपकार है। उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति को सीपीआार देने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
1. सबसे पहले अपने एवं घायल व्यक्ति की सुरक्षा का ध्यान रखें। यदि स्थान असुरक्षित हो, तो घायल को सावधानीपूर्वक सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।
2. घायल व्यक्ति को नजदीक से आवाज देकर एवं झकझोरकर उसकी चेतना की जांच करें।
3. मदद के लिए बुलाएं तुरंत एम्बुलेंस या अन्य सहायता के लिए कॉल करें।
4. हृदय के बीच में दोनो हाथों से लगभग 100-120 बार प्रति मिनट के दर से दबाव दें।
5. यदि प्रशिक्षित है तो दो बार माउथ-टू-माउथ ब्रीदिग दें।
6. यदि वयस्क है तो 30:2 एवं बच्चा है तो 15:2 के अनुपात में सीपीआर दें।
डा० यादव ने यह भी कहा कि सीपीआर देते समय स्वयं की सुरक्षा सर्वोपरि है। यदि घायल व्यक्ति किसी विद्युत, आग या ट्रैफिक दुर्घना के कारण प्रभावित हुआा है, तो बिना सुरक्षा सुनिश्चित किए उसके पास न जाएं। उन्होंने छात्रों को सीपीआर का व्यावहारिक
प्रदर्शन दिखाया और सभी को इसे नियमित अभ्यास में लाने की सलाह दी।
इस अवसर पर डीन रिसर्च, प्रो० रुचिरा सेठी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, प्रो० ए०ए० जाफरी, प्रो० भारती यादव (विभागाध्यक्ष, एनाटॉमी) प्रो० उमेश सरोज (आउटसोर्स प्रभारी), डा० ले०क० सी०बी०एस० पटेल (परीक्षा नियंत्रक), डा० विनोद कुमार (चिकित्सा अधीक्षक), डा० सरिता पाण्डेय, डा० अचल सिंह, डा० चन्द्रभान, डा० जितेन्द्र कुमार, डा० मुदित चौहान, डा० अनुज सिंह, डा० पूजा पाठक, डा नवीन सिंह, डा० ममता, डा स्वाती विश्वकर्मा, डा० रेनु कुमारी, डा० अरविन्द यादव, डा अभिषेक मिश्रा, डा० पंकज कुमार, डा० अजय यादव, डा0 रिनु कुमार, डॉ शादाब, डा० जयन्त शर्मा, डा० संदीप सिंह तथा कार्यक्रम को सन्पन्न कराने में सहयोग कर्ता के रूप में प्रवेश गुप्ता, चन्द्रमणि चौहान, शुभम यादव, विकास मौर्या, जगरोशन चौहान, आकाश साहू, अभिषेक कुमार व पंपम तथा नर्सिंग अधिकारी तथा एम०बी०सी०एस० व पैरामेडिकल छात्र/छात्राएं उपस्थित रहें।
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