स्वास्थ विभाग की व्यवस्था बिल्कुल लचर हो चुकी है

जौनपुर।सदर अस्पताल सिर्फ कहने को गरीबों के लिए है हकीकत में गरीबों के लिए कुछ है नही यहां सिर्फ खाना पूर्ति है।
आज मैं सलाम करता हूँ सुधांशू सिंह जी के जज्बे का जो सदर अस्पताल में अपने व्यक्तिगत किसी काम से गए हुए थे। वहाँ उन्होंने एक अनजान व्यक्ति शमशीर निवासी मड़ियाहूं की मदद की और उनकी पत्नी नाज़रीन को सही समय पर अपना खून देकर जान बचाई।आज दोपहर 1 बजे से शमशीर अपनी पत्नी को लेकर सीरियस हालात में अस्पताल के चक्कर काट रहा था किसी डॉक्टर और कंपाउडर ने ध्यान नही दिया जिसकी वजह से बच्चा पेट मे ही मर गया और उसकी पत्नी दर्द से तड़प रही थी उसकी भी हालत जरूरत से ज्यादा खराब हो चुकी थी डॉक्टर लोग इलाज के बजाय अपना पल्ला झाड़ रहे थे । उसी वक़्त भगवान के रूप में सुधांशू जी पहोचे शमशीर जोर जोर से रो रहा था ।सुधांशू ने स्थिति को समझा और तुरंत जिलाधिकारी महोदय से बात की उन्होंने ने CMS को तुरंत मौके पर भेजा और तत्काल महिला का उपचार शुरू हुआ और अब महिला सुरक्षित है।
उपचार के अभाव में न जाने कितनी जाने रोज़ जाती होंगी सदर अस्पताल में यह सोचने का विषय है।

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