लखनऊ उन्नाव और कठुवा गैंगरेप सहित देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही बलात्कार जैसी दिलो-दिमाग को झकझोर देने वाली घटनाओं के विरोध में आज एडवा ने विधानसभा के गेट नंबर चार से लेकर जीपीओ तक प्रतिरोध मार्च निकाला।इसके बाद जीपीओ पार्क स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना दिया।आज कोई न नारा होगा-बस देश बचाना होगा के ध्येय वाक्य के साथ निकाले गए इस मार्च में राजधानी लखनऊ के तमाम महिला संगठनों,जन संगठनों,वर्गीय संगठनों,सामाजिक संगठनो, लेखकों,साहित्यकारों,रंगकर्मियों,शिक्षकों और इंसाफ पसंद नागरिकों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
मार्च की विशेषता यह रही कि इसमें काफी संख्या में छोटी बच्चियां भी शामिल हुईं।मार्च में शामिल लोग अपने हाथों में काले झंडे लिए हुए थे और ‘बलात्कारियों को फांसी दो’, ‘बलात्कारियों के बचाव में- हिंदुत्व के ठेकेदार मैदान में’, ‘पीड़ित परिवार को सुरक्षा दो’, ‘हत्यारी सरकार गद्दी छोड़ो’, ‘कठुवा गैंगरेप के फासिस्टों को फांसी दो’ जैसे नारे लगा रहे थे।प्रतिरोध मार्च में काफी संख्या में महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल रहे।मार्च में शामिल होने वालों में किरण सिंह,ऊषा जी और मधु गर्ग,ऋषि श्रीवास्तव, नाइश हसन,संदीप पांडेय,प्रोफ़ेसर रमेश दीक्षित, रूप रेखा वर्मा,सुशीला पुरी और आर एस दारापुरी सहित तमाम बुद्धिजीवियों,साहित्यकारों और रंगकर्मियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इस मार्च की बाबत एडवा के पदाधिकारियों ने बताया कि हम सबके अपने सांगठनिक दायित्व होते है और हर संगठन के सोचने और काम करने के तरीके में अंतर होता है,लेकिन बड़े और व्यापक मुद्दों पर सभी सगठनों की समझ एक है और होनी भी चाहिए।उन्नाव से कश्मीर तक गैंगरेप की घटनाओं ने सबको हिला दिया है और यह जरूरत थी कि इस सबके खिलाफ एक व्यापक मंच बनाया जाए जिसके कारण 13 अप्रैल को तमाम सगठनों की मिलीजुली कोशिशों से बहुत कम अवधि में में लखनऊ के तरक्की पसंद,रौशन खयालात पसंद लोगों तथा महिला हिंसा और रेप जैसी घटनाओं पर मुखर लोगो ने इस छोटी सी मुहिम में बढ़चढ़ कर भागीदारी की।जिसके फलस्वरूप लगभग 60 से ज्यादा संगठनों ने साझा मीटिंग कर प्रोटेस्ट का स्वरुप तय किया।इस संगठन का कोई नाम नहीं है और न ही कोई झंडा है।सिर्फ एक मुद्दे पर पर बैनर लेकर यह प्रतिरोध मार्च निकाला गया।ताकि पूरे देश में यह संदेश जाए कि महिला हिंसा के खिलाफ लखनऊ एक है।
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