ईश्वरी उपदेश के सांचे में ढला हुआ था मौला अली का जीवन : मौलाना सफदर

जौनपुर। पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) के दामाद शिया मुसलमानों के पहले इमाम व चौथे खलीफा हजरत इमाम अली इब्ने अबु तालिब का जन्मदिवस जिले में रविवार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। घरों में मीठे-मीठे पकवान बनाये गये तो पूरा शहर मानो दुल्हन की तरह सजा था। हर तरफ बस नारे हैदरी या अली, या अली की सदा सुनायी पड़ रही थी। कहीं लोग ने केक काटा तो कहीं गरीब बेसहारा बच्चों को कॉपी, पेसिंल व किताब बांटकर इमाम के दिये पैगाम पर अमल किया।
सदर इमामबारगाह स्थित जामिया इमाम जाफर सादिक में महफिल का आयोजन हुआ जिसमें विख्यात शायरों ने बारगाहे इमाम में नजराने अकीदत पेश किया। महफिल को खिताब करते हुए विख्यात मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने कहा कि मुसलमानों के चौथे खलीफा शिया समुदाय के पहले इमाम और पैगम्बरे इस्लाम के दामाद हजरत अली एक ऐसे आदर्श महापुरुष थे जिनका पूरा जीवन ईश्वरी उपदेश के सांचे मे ढला हुआ था। महफिल में मशहूर शायरों ने अपने कलाम पेश कर मौला अली के जिंदगी पर रौशनी डाली। इस मौके पर नजमुल हसन नजमी, आरिफ हुसैनी, अफसर हुसैन अनमोल, अली कैसर, मोहम्मद सोहराब के साथ बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
इसी क्रम में शाम को शाही किला गेट पर अली फाउण्डेशन बलुआ घाट के तत्वावधान में एक बड़ा केक काटा गया। इससे पूर्व इमाम की नज्र की गयी। जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे। अमन व शांति के पैगाम के लिए आसमान में रंग बिरंगे गुब्बारे छोड़े गये। देर रात्रि तक यहां महफिल का आयोजन चलता रहा जिसमें शहर के कई मशहूर शायरों ने अपने कलाम पेश किये।

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