75 प्रतिशत खराब होने पर पता चलती है गुर्दे की बीमारीः डा. अरविन्द गुप्ता

जौनपुर। हमारे देश में दिन-प्रतिदिन गुर्दा रोग की बीमारी विकराल रूप धारण कर रही है। इस बीमारी की वजह से लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। दुख की बात तो यह है कि इस बीमारी का पता तब चलता है तब गुर्दा 70 से 75 प्रतिशत खराब हो चुका होता है। उक्त बातें प्रख्यात गुर्दा रोग विशेषज्ञ एवं मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज इलाहाबाद के प्रोफेसर अरविन्द गुप्ता ने शनिवार को नगर एक निजी अस्पताल में आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने आगे कहा कि हमारे शरीर से हानिकारक पदार्थों को छानकर बाहर निकालने का काम किडनी का होता है। किडनी हमारे शरीर में रक्त शोधन का काम करती है। हम जो कुछ खाते हैं, उसमें से विषैले तत्व व नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ को मूत्राशय के जरिये बाहर निकाल देती है, ताकि शरीर अच्छे ढंग से काम करें। डा. गुप्ता ने बताया कि जब किडनी अपनी क्षमता से 80 प्रतिशत कम काम करती है तब लोग महसूस कर पाते हैं कि उन्हें गुर्दे की बीमारी है। इसी क्रम में गुर्दा रोग के लक्षण के बारे में डा. रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि रोगी को भूख नहीं लगती है। खून की कमी होने लगती है। हाथ पैर व आंखों के नीचे सूजन आ जाती है। सांस फूलने लगती है। हाजमा खराब हो जाता है। बार-बार मूत्र आना, शरीर में खुजली होना, कमजोरी महसूस होना, अत्यधिक थकान महसूस करना, पीठ या कमर में दर्द होना भी गुर्दा रोग के लक्षण हैं। इस अवसर पर डा. स्मिता श्रीवास्तव सहित तमाम सहायक, गणमान्य नागरिक, अस्पताल के स्टाफकर्मी उपस्थित रहे। अन्त में डायलेसिस के समन्वयक सर्वेश सिंह ने समस्त आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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