जुलूस के दरमयान तकरीर करते हुए ज़ाकिरे अहलेबैत डॉ कमर अब्बास ने कहा कि पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के चचेरे भाई व दामाद हजरत अली का जन्म अरबी महीना रजब की तेरह तारीख को काबे के अदंर हुआ, जहां आज दुनिया भर के मुसलमान हज करने जाते हैं । और शहादत नमाज़ के हालत में मस्जिदे कूफ़ा में हुई ।
आज मुसलमान हजरत अली को चौथा खलीफा जबकि शिया मुसलमान उन्हें अपना पहला इमाम मानते हैं।
शिया धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन ज़ैदी ने नमाज़ अदा कराने के बाद रोज़ेदारों को खिताब करते हुए कहा कि रमजान की 19 वीं तारीख को कूफा की मस्जिद में नमाज पढ़ते हुए इब्ने मुल्जिम नामक ज़ालिम ने ठीक सजदे की हालत में मौला अली पर जहर भरी तलवार से वार कर दिया। जख्मी हालत में भी उन्होंने नमाज का पूरा ख्याल रखा। दो दिन बाद 21 वीं रमजान को उनकी शहादत हो गई।
इस मौके पर मौलाना फज़ले मुमताज़ , मौलाना हैदर मेहदी , मीर बहादुर अली , मंज़र हुसैन , चुनमुन भाई , नौशाद , हसनु मुजावर आदि के साथ हज़ारो की संख्या में लोग मौजूद रहे ।

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