बच्चों में बढ़ते यौन शोषण को रोकने के लिये टास्क फोर्स गठित।


सज्जाद बाक़र
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराधों की संख्या में हो बढ़ोत्तरी चिन्ता का विषय बनती जा रही है।इन अपराधों में बच्चों में बढ़ते यौन शोषण को रोकने के लिये फोकस्ड टाॅस्क फोर्स का गठन किया गया है।जो यौनशोषण के लिये बच्चों की मांग करने वालों पर न सिर्फ नजर रखेगी बल्कि उन्हें दण्डित करने का भी काम करेगी।आयोजित एक कार्यक्रम इस फोर्स का शुभारम्भ सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने किया।इस मौके पर डा0 एम0पी0 नाॅयर,सहित कई प्रमुख लोग मौजूद थे।इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अपराधिक आंकड़ों को सामने रखते हुये बताया गया कि राज्य में बच्चों के बलात्कार के मामलों में खासी बढ़ोत्तरी हुयी है जो 2015 में 596 से बढ़कर 2016 में 2115 तक पहंुच गयी इसी तरह प्रदेश में 9678 बच्चों के गायब हुये है जबकि मानव तस्करी के 79 मामले दर्ज हुये किये गये।इस मौके पर डॉ. पी0एम0 नायर ने कहा हम यह नहीं भूल सकते कि बच्चे वेश्यावृत्ति में शामिल नहीं होते हैं बल्कि उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेला जाता है।1857 में मेरठ भारत की आजादी की पहली लड़ाई का अग्रदूत बना था और आज मेरठ फिर एक लड़ाई लड़ने निकल पड़ा है।बच्चों के व्यावसायिक यौन शोषण की रोकथाम की लड़ाई।यह भारत का पहला जिला होगा जो दंड से बचे रहकर हमारे बच्चों का यौन शोषण करने वाले इन कथित “ग्राहकों” को दंडित करने की इस अनूठी पहल को चलाएगा।एफटीयू के शुरूआत के साथ ही बैठक आयोजित की गयी।जिसमें सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने जिले के प्रमुख अधिकारियों के साथ इस मुद्दे के मांग पक्ष को कमजोर करने की पहल का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।इसका उद्देश्य ‘मेरठ को 2019 तक बच्चों को वेश्यावृत्ति में धकेलने वाले यौन अपराधियों के लिए शून्य-सहनशीलता वाला जिला बनाना है।एफटीयू बच्चों के ग्राहकों (अपराधियों) पर ध्यान केंद्रित करके बच्चों की मांग कम करने की एक योजना विकसित करेगी।इस योजना के कार्यान्वयन की पूरी निगरानी की जाएगी।टास्कफोर्स के सदस्यों की पहली मीटिंग में यह निर्णय लिया गया।राजेंद्र अग्रवाल ने कहा यह केंद्रित टास्क यूनिट केवल कुछ आदमियों को गिरफ्तार करने की पहल नहीं है।बल्कि यह कानून का भय पैदा करेगी और जो लोग वर्षों से कड़े कानून के अभाव में यौन शोषण के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर रहे थे उन्हें भी दंड के दायरे में लाएगी।इन लोगों को यह मालूम हो जाना चाहिए कि मेरठ का पुलिस बल और प्रशासन,समाज के नागरिक सदस्यों और मीडिया की मदद से उन पर बारीकी से नजर रखे हुए है।कोई भी शोषक,कोई भी उल्लंघनकर्ता दंड से बच नहीं पाएगा।हम सभी आज प्रण लेते हैं कि 2019 तक मेरठ जिला बच्चों के व्यावसायिक यौन शोषण से मुक्त हो जाएगा।डॉ.पी0एम0 नायर ने कहा हम यह नहीं भूल सकते कि बच्चे वेश्यावृत्ति में शामिल नहीं होते हैं बल्कि उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेला जाता है।1857 में मेरठ भारत की आजादी की पहली लड़ाई का अग्रदूत बना था और आज मेरठ फिर एक लड़ाई लड़ने निकल पड़ा है।बच्चों के व्यावसायिक यौन शोषण की रोकथाम की लड़ाई।यह भारत का पहला जिला होगा जो दंड से बचे रहकर हमारे बच्चों का यौन शोषण करने वाले इन कथित “ग्राहकों” को दंडित करने की इस अनूठी पहल को चलाएगा।इस मौके पर सुश्री मंजिल सैनी,एसएसपी मेरठ ने कहा कि यह एक बहुत ही नीच अपराध है और दुःख इस बात का है कि यह इतने बड़े स्तर पर पहुँच गया है।इस अपराध के कई पहलु हैं तस्करी,ऑनलाइन व्यवसाय,मसाज पार्लर और कानून में कुछ ऐसे विसंगतियां हैं जिसके चलते पुलिस को कई बार परेशानी होती है।इससे लड़ने के लिए 3 क्षेत्रों में काम करना चाहिए जागरूकता,सुरक्षा और पुनर्वास!मैं करना चाहती हूँ की जैसे हर जिले में महिला थाने का प्रावधान है वैसे ही बच्चों के लिए एक स्पेशल थाना होना चाहिए।वहीं डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अनिल ढींगरा ने कहा कि इस जुर्म के ज्यादातर अपराधी समाज के ऊपरी दर्जे से आते हैं क्योंकि यह अपराध पर्दों के पीछे चल रहा है।इस अपराध से लड़ने के लिए हमें समाज की मानसिकता भी बदलनी पड़ेगी और साथ में यह सुनिश्चित करना पड़ेगा की इसके अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलानी पड़ेगी।मैं इस टास्क यूनिट की स्थापना के लिए सभी की सराहना करता हूँ और यह भरोसा दिलाता हूँ की मैं अपने स्तर से मैं पूरा सहयोग करूँगा और हम मेरठ को भारत का पहला जिला बना के रहेंगे जो बच्चों के व्यावसायिक यौन शोषण से मुक्त हो।

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