
यह बाते नगर के जामिया हुसैनिया लालदरवाजा के मोदर्रिस मौलाना मोहम्मद वसीम ने कही | उन्होंने कहा की रोजेदारों के मुहं की बदबू अल्लाह के नजदीक मुश्के अंबर की खुशबू से भी ज्यादा मोतबर है | रमजान शुरू होते ही जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है और दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते है | उन्होंने यह भी कहा की रोजा रखने से दिल में तक्वा का नूर पैदा होता है जो तमाम नेकियों की बुनियाद है रोज़े दार जन्नत का मुश्ताहक होता है | उन्होंने कहा की रोजे का फायदा उसी को मिलता है जो रोज़े का हक अदा करता है यानी हर रोज़ेदार का यह फरीजा है की वह अपनी आँख, कान, नाक, जुबान ,दिल ,दिमाग ,हाँथ , पैर , से भी रोजा रखे और चुगली , गीबत , बुराई , दगेबाजी , झूठ , नफरत , चोरी ,बेईमानी ,गाली , मार पीट , से बचते हुए पंजवक्ति नमाज , तरावीह , कोरान की तिलावत , इबादत अच्छाई के साथ साथ गरीबों यतीमों , मिसकीनों , लाचारों की भलाई का काम करे | उन्होंने कहा की रोजा के बारे में अल्लाह ने फरमाया की रोजेदारों को मैं अपने हाँथ से इनाम दूंगा | क्यूँ की रोज़ेदार मेरे हुकम की तामील कर अपनी जरुरी ख्वाहिसों को नजरअंदाज कर मेरी तरफ मायल रहता है | उन्होंने कहा की रोजा इम्मान की जड़ है | इसे जितनी मजबूती के साथ मोमिन पकड़ता है अल्लाह उतनी ही तेजी के साथ उसे पकड़ता है | इसलिए नमाज और रोजे की पाबंदी har मोमिन के लिए बहुत जरुरी है |
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