कहानी संग्रह 'कालिंजर का लोकार्पण

जौनपुर। हिन्दी कहानी अब सौ साल से भी आगे बढ़ चुकी है। विद्वानों की अकादमिक चर्चा-परिचर्चा ने जहां नये समीक्षा मूल्यों को जन्म दिया है, वहीं अनेक कथा-आन्दोलनों से गुजरते हुए हिन्दी कहानी को यथार्थ पर अच्छी सर्जनात्मक बहस का प्रारूप मिला है। डा. रेणुका अस्थाना की कहानी में सामान्य जनजीवन में प्रचलित विश्वासों, मान्यताओं, रीति रिवाजों के साथ ही मानवीय संवेदना व पर्यावरण को बचाने का उपक्रम है।
उक्त विचार नगर के एक होटल में डा. रेणुका अस्थाना द्वारा लिखित कहानी संग्रह कालिंजर के लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य वक्ता शिक्षाविद् व साहित्यकार डा. ब्रजेश कुमार यदुवंशी ने व्यक्त किया। वरिष्ठï कवि व साहित्यकार जनार्दन प्रसाद अस्थाना ने कहाकि डा. रेणुका अस्थाना ने जमीनी सन्दर्भ तथा नये बदलावों को अपनी कहानी में यथोचित स्थान दिया है। गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव गिरीश ने कहाकि रेणुका जी की बहुत सी कहानियां लोक शैली के अन्दाज में लिखी गयी हैं। शायर आकिल जौनपुरी ने कहाकि दर्द के समन्दर में बैठकर या आग के दरिया से गुजर कर ही ऐसी कृति सामने आ सकती है। प्रख्यात लेखिका डा. रेणुका अस्थाना ने अपने उद्बोधन में कहाकि मैं जौनपुर की बेटी हूं। लेखन के माध्यम से जौनपुर का नाम आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हूं। यह धरती साहित्यकारों के लिए काफी उर्वर रही है। अपने लोगों से मिलकर मैं बहुत ही आह्लïादित हूं। मातृभूमि को प्रणाम करने व आप सबका आशीर्वाद लेने आयी हूं। मेरे लेखन में कोई कमी दिखे तो आप लोग मार्गदर्शन जरूर करें। कार्यक्रम संयोजक युवा जिलाध्यक्ष अभाकाम संजय अस्थाना ने आये हुए अतिथियों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव हरीश, विमल चन्द अस्थाना, जय आनन्द, श्यामरतन, रामजी जायसवाल, संदीप अस्थाना, रामचन्द्र श्रीवास्तव, विनय श्रीवास्तव, पंकज श्रीवास्तव, शरद चन्द अस्थाना आदि मौजूद रहे।

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