jaunpur : निधि खर्च में आगे, पर जनसेवा में पीछे

जौनपुर। सूबे में भाजपा सरकार बने एक वर्ष पूरे हो गए। हर कोई अपने-अपने हिसाब से एक साल का लेखा-जोखा पेश कर रहा है। सत्ता पक्ष उपलब्धियों का पिटारा खोल रहा है तो विपक्ष जो काम नहीं हो सके और जो वादे पूरे नहीं हुए या आधे-अधूरे हुए, उन्हें ही गिना रहा है। जनभावनाओं का ख्याल न तो सत्ता पक्ष रख रहा है और न ही विपक्ष ठीक से उसको पेश कर पा रहा है। विधायक व एमएलसी क्षेत्र के विकास के लिए मिली निधि को खर्च करने में तो आगे हैं, लेकिन जनता की सेवा में पीछे हैं। निधि का प्रयोग भी चहेते ठेकेदारों द्वारा कराए जाने के आरोप लगते रहे हैं। जनता द्वारा चुने गए विधायकों को प्रति वर्ष अपनी विधान सभा क्षेत्र की सीमा में विकास कार्यो के लिए डेढ़ करोड़ रुपये शासन से मिलते हैं। यह धनराशि जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के खाते में भेजी जाती है। कार्यों के प्रस्ताव विधायकों द्वारा दिए जाते हैं। इनके द्वारा खुद ही कार्यदायी संस्था नामित की जाती है। हालांकि संस्था तो सरकारी होती है, लेकिन उनमें पंजीकृत ठेकेदारों को इन विधायकों का वरदहस्त प्राप्त रहता है जिससे कार्यदायी संस्था इन्ही ठेकेदारों को काम देती है। लाभ के चलते यह विधायक निधि खर्च करने में तो आगे रहते हैं, लेकिन जनता से जुड़े कार्यों में इनकी ज्यादा रुचि नहीं रहती। इतना ही नहीं विधायकों पर अपने विधान सभा क्षेत्र में भ्रमण न करने की शिकायतें भी ा आती रहती हैं। परेशान लोगों को जब इनकी जरूरत होती है तब उन्हें इनके आवास या लखनऊ की दौड़ लगानी पड़ती है। जनता के दुख-दर्द से इनका ज्यादा वास्ता नहीं रहता। जनता की ज्यादातर शिकायतें निस्तारित नहीं हो पातीं और वह इन्हें कोसती है। जनता दरबार के नाम पर भी इनके आवास पर ही लकीर पीटी जाती है। क्षेत्र में इनके बैठने का कोई उचित समय नहीं तय है, जिससे जनता अपने जनप्रतिनिधियों से बेहतर जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रही है।

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