मनुष्य जन्म में ही हो सकती है परमात्मा की प्राप्तिः रमाशंकर जायसवाल

जौनपुर। संसार के सभी धर्म ग्रन्थ इस बात के साक्षी हैं कि परमात्मा दो या चार नहीं, बल्कि एक है। सर्वत्र है, अखण्ड है, अभेद है। गीता, कुरान, रामायण, बाइबल में लिखी है कि मनुष्य जन्म में ही प्रभु परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। उक्त उद्गार मड़ियाहूं पड़ाव व सिकरारा में स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन के प्रांगण में उपस्थित विशाल संत समूह को सम्बोधित करते हुये मुम्बई से आये विद्वान संत रमाशंकर जायसवाल मुखी ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नफरत, बैर, ईर्ष्या को मिटाकर आपस में प्यार प्रीत, नम्रता, सहनशीलता आदि दिव्य गुणों के भावों को दिलों में उत्पन्न कर रही है। जाति-पाति, अमीरी-गरीबी, गोरे-काले का भेदभाव मिटाकर सभी को एक समानता का पाठ पढ़ा रही है। इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्याम लाल साहू संयोजक, धर्मेन्द्र यादव, राज बहादुर यादव अध्यक्ष जिला पंचायत जौनपुर, डा. जितेन्द्र यादव जिला पंचायत सदस्य, राजेश प्रजापति क्षेत्रीय संचालक, उदय नारायण जायसवाल, द्वारिका, लालमनी यादव, सचिन, राधेश्याम द्विवेदी सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। मंच का संचालन जय प्रकाश  ने किया।

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