स्तनपान से मां को नहीं रहता है कैंसर का खतराः डा. मधु शारदा

जौनपुर। विश्व स्तनपान सप्ताह के बाबत शुक्रवार को नगर के जेसीज चौराहे के पास स्थित एक निजी अस्पताल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया जहां स्तनपान के महत्व को समझाया गया। इस मौके पर वरिष्ठ महिला चिकित्सक डा. मधु शारदा ने बताया कि मां का दूध आसानी से पचता है तथा इसमें प्रतिकारक होते हैं जिससे आंत, कान व श्वास के संक्रमण का खतरा कम रहता है। यह दूध सडन इन्फेंट डैथ सिण्ड्रोम के खतरे को कम करता है। वहीं बच्चे को स्तनपान कराने वाली मां को स्तनपान प्रसवोत्तर अवसाद, मधुमेह, स्तन व गर्भाशय के कैंसर का खतरा नहीं रहता है। स्तनपान ओक्सीटोसिन का स्राव बनाये रखता है जिससे गर्भाशय को सिकुड़ने व वापस अपने आकार में आने में सहायता मिलती है। डा. शारदा ने बताया कि स्तनपान से मां व बच्चे में एक स्नेहपूर्ण रिश्ता स्थापित होता है। नवजात के मत्यु दर पर कुपोषण की दर में कमी अवश्य आयी है लेकिन अभी भी ध्यान देने की जरूरत है। स्तनपान बच्चे के जन्म के एक घण्टे के भीतर आरम्भ कर देना चाहिये जो निरन्तर 6 माह तक चलना चाहिये। अन्त में उन्होंने बताया कि मां अपने बच्चे को स्तनपान 1.5 से 2.5 घण्टे के अन्तराल पर 7-8 बार अवश्य करायें। स्तनपान न कराने के दो प्रमुख कारण हैं- एक अशिक्षा व दूसरी आधुनिकता। इस अवसर पर डा. पल्लवी खरे, डा. प्रियंका, डा. हरेन्द्रदेव सिंह, शिवानी, रूचि, संध्या, भरत कुमार, रवि प्रकाश सिंह, आदिल खान के अलावा तमाम चिकित्सक, स्टाफकर्मी आदि उपस्थित रहे।

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