पं. दीन दयाल उपाध्याय की कर्मभूमि रही है जौनपुर


जौनपुर। पं. दीन दयाल उपाध्याय जन्म सताब्दी वर्ष पूरे देश में जोश-खरोश से मनाया गया जिसके बाबत आयोजित कार्यक्रमों के माध्यमों से श्री उपाध्याय के बारे में लोगों को जानकारी दी गयी। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा 40 पृष्ठ की एक पुस्तक भी दीन दयाल जी के जीवन पर प्रकाशित किया गया है लेकिन पुस्तक में दीन दयाल जी की कर्मभूमि जौनपुर का कहीं जिक्र ही नहीं किया गया है। बता दें कि पण्डित जी की कर्मभूमि जौनपुर रही है। वे यहां से वर्ष 1963 लोकसभा उपचुनाव में जनसंघ के बैनर तले लोकसभा का चुनाव लड़े थे। हालांकि  इस चुनाव में पार्टी के भितरघात के चलते उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। यह भी संयोग है कि उन्होंने अपना अंतिम दर्शन भी जौनपुर के लोगों को दिया था। इस बारे में न कार्यक्रमों में बताया गया और न ही सूचना विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक में जिक्र है। जनसंघ के संस्थापक सदस्य श्री उपाध्याय का जौनपुर से बहुत गहरा नाता रहा है। वे संगठन को मजबूत करने के लिये पूर्वांचल के दौरे पर आते थे। वे नगर के रासमण्डल मोहल्ले में स्थापित जनसंघ कार्यालय और राजा जौनपुर की हवेली में रहकर अपने मिशन को आगे बढ़ाने का काम करते थे। जौनपुर के तत्कालीन सांसद ब्रह्मजीत सिंह की मौत के बाद खाली पड़ी इस सीट पर वर्ष 1963 में उपचुनाव हुआ था। इस सीट पर भारतीय जनसंघ ने दीन दयाल जी को अपना प्रत्याशी बनाकर उतार दिया था। उनका चुनाव प्रचार करने के लिये पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी समेत कई वरिष्ठ नेता यहां डेरा डालकर चुनाव प्रचार किया था लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजदेव सिंह ने उन्हें भारी मतों के अंतर से हरा दिया था। बाद में जनसंघ ने चुनाव के हार की समीक्षा किया तो पार्टीजनों का बगावत सामने आया था। दीन दयाल जी मौत से कुछ घण्टे पहले लखनऊ से पटना जाते समय 10 फरवरी 1968 को उनकी ट्रेन जौनपुर पहुंची तो राजा यादवेन्द्र्र दत्त दुबे (राजा जौनपुर) का पत्र लेकर कन्हैया नामक एक व्यक्ति उनके पास गये थे। 12 बजकर 12 मिनट पर उनकी ट्रेन आगे को रवाना हुई कि इस दौरान कई जौनपुर के नेताओं ने उनसे मुलाकात किया था। सुबह मुगलसराय पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गयी थी। दीन दयाल जी की जौनपुर कर्मभूमि होने के कारण ओलन्दगंज से कचहरी मार्ग का नाम पं. दीन दयाल उपाध्याय के नाम कर दिया गया। उनके नाम का शिलापट्ट ओलन्दगंज-चौराहा, जोगियापुर और जिला कारागार गेट के पास लगाया गया है लेकिन पिछले वर्ष इस मार्ग केे चौड़ीकरण में ओलन्दगंज व जोगियापुर का शिलापट्ट तोड़ दिया गया जबकि जेल गेट के पास आज भी शिलापट्ट लगा हुआ है।

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