गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया


जौनपुर। जिले में गुरू पूर्णिमा पर्व श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया। श्रद्धालुओं ने आदि गंगा गोमती के हनुमान घाट, अचला देवी घाट, सूर्य घाट सहित विभिन्न घाटों पर डुबकी लगायी और दान दिया। लोगों ने अपने गुरू की चरण वन्दना कर पूजन किया। इस अवसर पर गायत्री प्रज्ञा मण्डल पर जज कालोनी के प्रांगण में विविध आध्यात्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। सवे प्रथत रविवार को सवेरे गायत्री महामंत्र का अखण्ड  पाठ किया गया। इस अवसर पर शिष्यों को सम्बोधित करते हुए आचार्य देश बन्धु पद्माकर मिश्र ने कहा कि गुरू जीवन का उद्देश्य क्या है? हमें किस मार्ग पर चलने से शान्ति प्राप्त होगी, सत्य क्या है और भ्रमों से किस प्रकार भिन्न है। आदि जीवन में गूढ और अनसुलझे प्रश्नों का समाधान प्राप्त करने में सहायक होते हैं। प्राचीन भारतीय ग्रन्थांे में गुरू की महिमा के बारे में ब्रह्मा, विष्णु और महेश से भी श्रेष्ठ गुरू को कहा गया है। इतिहास छाक्षी है कि छत्रपति शिवाजी, स्वामी विवेकानन्द आदि महापुरूषों का निर्माण समर्थ गुरू रामदास व रामकृष्ण परमहंस जैसे सन्यासियों से संभव है। वास्तव में गुरू ही वह मार्ग दर्शक सत्ता है। जो नश्वरता के अंधकार से शास्वत सत्यरूपी प्रकाश की ओर ले जाती है। सांयकाल दीप यज्ञ का आयोजन किया गया। आनन्द मिश्र नेे भजनों सेे आस पास का वातावरण को पवित्र कर दिया। दीप यज्ञ में 551 दीपों की ज्योति से परिसर आलोकित हो उठा। इस अवसर पर श्री मती शिवकुमारी मिश्रा ने कहा कि दीप निरंतर अज्ञान रूपी अन्धकार से संघर्ष की प्रेरणा देते हैं। इससे संघर्ष की शक्ति प्राप्त होती है। कार्यक्रम में सैकड़ो श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
फोटो 02- गुरू पूर्णिमा पर प्रज्ञा मण्डल जज कालोनी में पूजन करती महिलायें।

No comments

Post a Comment

Home